भाग 38 ज्यादा लंबा रास्ता तो था नहीं पुरवा के गांव का। अंधेरा अभी ठीक से हुआ नही था। सूरज डूबने के बाद भी हल्का उजाला था अभी। अशोक अभी घर वापस नहीं आए थे। उर्मिला धूप दरवाजे पर आते ही से पुरवा की राह देखने लगी थी। जब भी किसी के गुजरने की आहट होती उसे लगता पुरवा आ गई क्या..! पर पर सूरज ढलने की शुरुआत होते ही उर्मिला की सांस ऊपर-नीचे होने लगी। वो बेचैन हो कर बाहर आ गई और रास्ते की ओर खड़ी हो कर इंतजार करने लगी। जब उसे इंतजार करते कुछ पल बीत