भाग 36 जब नाज़ पुरवा से गले मिल रही थी तभी उसकी निगाह दरवाजे की ओर पड़ी। उसने देखा कि अमन दरवाजे पर खड़ा हुआ है। उसे देख कर नाज़ को शरारत सूझी। पुरवा को छेड़ने की नियत से वो उसके कान में फुसफुसाई, "इतना मुझ पर क्यों बिगड़ रही है..? अमन पीछे ही खड़े हुए हैं। और तुझ पर लट्टू भी नजर आ रहे है मुझे। कह तो उसने ही बोल दूं घोड़े पर बिठा कर तुझे घर पहुंचा दें। बन्नो के पांव भी नही दुखेंगे। और झटपट पहुंच भी जायेगी।" एक तो देर हो गई थी, दूसरे नाज़