भाग 31 बाऊजी को चाय दे कर पुरवा भी उन्ही के साथ बैठी चाय की चुस्की लेती रही। जब पी चुकी तो दोनो खाली गिलास उठा कर अंदर आ गई। अब तक उर्मिला की दाल अधपकी हो कर अहरे पर रख दी गई थी और चूल्हे पर चावल चढ़ गया था। हल्की तपिश चूल्हे की महसूस हो रही थी। इस लिए बाहर निकल आई। वो अशोक के पास दरवाजे की डेहरी पर आ कर बैठी तो उसके पीछे पीछे पुरवा भी आ गई। वो भी बगल में सट कर बैठ गई। अशोक बोले, "पुरवा की अम्मा..! अब फैसला तो हो