भाग 28 उर्मिला ने सलमा और नईमा को आराम से बैठने को कहा और वो खुद अंदर चली आई। उसे पता था कि पुरवा ने सुबह से बहुत काम किया है। अब और कुछ करवाने के लिए उसे थोड़ा सा मक्खन लगाना ही पड़ेगा। इसलिए आराम से लेटी पुरवा के पास आई और बोली भरसक कोशिश कर आवाज को मीठी चाशनी से सराबोर किया और बोली, "पुरवा..! बिटिया…! तूने खाना बहुत ही अच्छा बनाया था सब को बहुत पसंद आया। उंगलियां चाट चाट कर खाया सबने। ऐसा कर बिटिया..! रोज रोज तो मेहमान आते नही हैं। शाम हो गई है।