वो बंद दरवाजा - 5

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भाग- 5 अब तक आपने पढ़ा कि मनाली के लिए निकले कॉलेज स्टूडेंट्स की गाड़ी जंगल में भटक जाती है। बिना ड्राइवर के भी गाड़ी स्वतः ही चलती हुई अचानक एक जगह ठहर जाती है। सायं -सायं करती हवा जब ज़मीन पर बिखरे पड़े हुए सूखे पत्तों से होकर गुजरती तो औऱ अधिक डरावना माहौल बना देती। हवा से सरकते सूखे पत्तों की खड़खड़ाहट सुनकर ऐसा महसूस होता जैसे कोई चला आ रहा है। रात भी खरपतवार की तरह तेज़ी से बढ़ती जा रही थी। रोशनी का नामोनिशान तक नहीं था। सभी लड़के और लड़कियां एक-दूसरे का हाथ थामे हुए