आश्वस्ति

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शंकर प्रसाद अपना डेढ़ एकड़ खेत गोण्डा के रजिस्ट्री कार्यालय में रमेश प्रधान को लिखकर गांव नहीं लौटे। उनके चचेरे भाई सरजू उन्हें गांव चलने के लिए प्रेरित करते रहे पर उनका मन उदास था। खेत पांच लाख में बिका था। कोर बैंकिंग का लाभ लेते हुए उन्होंने पैसा अपने खाते में जमा करा दिया था। कचहरी में ही पांच बजगए। दिल्ली के लिए गोरखधाम या सत्याग्रह किसी में जगह मिल जाएगी। सरजू के साथ शंकर स्टेशन की ओर चल पड़े। गाँव का कच्चाघर सरजू को दे दिया। सरजू कुछ पान फूल देना चाहते थे पर शंकर ने मना कर