त्रियाची - 20

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भाग 20 प्रणिता- सप्तक ने जो बताया है उसके बाद मुझे कुछ डर लग रहा है।  अनिकेत- इसमें डरने की क्या बात है प्रणिता। हमारे मन में किसी बात का डर नहीं होना चाहिए। हम एक अच्छे काम को करने के लिए जा रहे हैं, इसलिए इस डर को अपने मन से हमेशा के लिए निकाल दो।  रॉनी- हां प्रणिता मेरा अनुभव भी यही कहता है कि यदि आपके मन में डर है तो आप किसी भी क्षण कमजोर पड़ सकते हो। इसलिए इस डर को दूर कर दो।  यश- प्रणिता का डर जायज है। तुम लोगों ने सुना नहीं