साथ जिंदगी भर का - भाग 14

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कुँवरजी .... आस्था ने थकी आवाज मे सुखे गले से कहा और अपना हाथ उसकी और बढ़ा दिया .... उसका चेहरा पुरी तरह से मुरझा गया था .... हलक सुख गया था ..... सामने का ठीक से दिखाई देने मे भी प्रॉब्लम हो रहा था .. एकांश ने उसका हाथ थाम लॉय और उसके सामने आ गया आस्था .... हमे आपसे ये उम्मीद नही थी .... कैसा कर सकती हे ये आप .. आपको कुछ समझ हे या नही .... इस तरह से उपवास रखना ..... और फिर पता नही कितना पैदल चलना ..... उतना काफी नही था की .....