साथ जिंदगी भर का - भाग 12

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अप्रतिम ... महागुरु ने चाय की चुस्की लेते हुये कहा ये तो कुछ नहीं हे गुरुजी ..... आस्था के हाथों मे स्वयं माँ अन्नपूर्णा बसती है ..... बहोत ही लाजवाब खाना बनाती है वो .. दादासा ने हमेशा की तरह उसके खाने की तारीफ की । हम भी आपके हाथो का स्वाद जरूर चखेंगे आस्था बेटा .... लेकिन आज नही .. आज हमारा उपवास है सिर्फ फल आहार करेंगे . महागुरू गुरुजी ..... हम उपवास का ही खाना बनाने वाले हैं अगर आप .... आस्था कहते कहते रुक गयी हम अवश्य खायेंगे ..... महागुरू ने कहा और आस्था किचन में