परी का साया

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क़ाज़ी वाजिद की कहानी -प्रेमकथा ‌‌‌ विडंबना है यदि फौज के स्कूल में पढ़ने वाला बच्चा, माला के जंगल के सरकारी स्कूल में पढ़ने को विवश हो। बेचारा सतनाम। पापा फौज में मेजर थे, युद्ध में जाना पड़ा। मम्मी उसे लेकर दादा के फार्म हाउस चली आई। .... मैं स्कूल जाता तो था, पर बच्चों के साथ नहीं बैठता, जो झुंड बनाकर ज़मीन पर बैठते थे, अकेला जंगल और खेतों में घूमता रहता था। स्कूल में एक लड़की थी, नाम था परी, जितनी सुंदर थी उतनी ही भोली थी। जिधर से भी गुज़र जाती, आकर्षण का केंद्र बन जाती। उसने