सोई तकदीर की मलिकाएँ 56 भाभियों और बच्चों को सौगातों में उलझा छोङ कर जयकौर बाहर निकली और कुछ देर गली में आस पङोस में घूमती रही । सभी घरों में उसकी खूब आवभगत हुई पर उसका मन उचाट हो गया था , उचाट ही रहा । वह कहीं भी टिक नहीं रहा था । वह दो दो चार चार मिनट बैठती और अचानक चौंक कर उठ जाती । पङोसने उसे रुकने का आग्रह करती रही । वे उससे उसकी ससुराल के किस्से सुनने के लिए अधीर हो रही थी पर जयकौर मौन रह कर मुस्काती रहती