हर्जाना - भाग 4

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आयुष्मान की मेहनत, इच्छा शक्ति, दृढ़ निश्चय और महत्वाकांक्षा ने उसे इस अनाथाश्रम का पहला डॉक्टर बना दिया। उसे यह डिग्री मिलते से ही पूरे अनाथाश्रम में ख़ुशी ने डेरा डाल दिया। वहाँ के बच्चे, आयुष्मान के साथी उसके दोस्त और सबसे ज़्यादा गीता मैडम की ख़ुशी का ठिकाना ना था। आज वहाँ सभी अपने अनाथाश्रम को गर्व से भरा हुआ महसूस कर रहे थे। आयुष्मान के बढ़ते क़दम अब भी रुकने को तैयार नहीं थे। उसने गीता मैडम से कहा, “गीता माँ मुझे अभी और आगे पढ़ाई करना है। एम डी करना है। माँ मैं भी आप ही की