हर्जाना - भाग 1

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आज की यह रात अमावस की काली अंधियारी रात थी। इस रात के बीच में बिजली की चमक अँधेरे का सीना चीरती हुई धरती पर आ गिरती कभी मद्धम कभी भीषण। बादल नाराज़ लग रहे थे, ऐसा लग रहा था इस भयानक गरज के साथ वह कहीं फट ना जाएँ। इस तरह ध्वनि और बिजली का आवागमन जारी था, यूँ लग रहा था मानो तेज तूफ़ान आने वाला है। अनाथाश्रम में रात के सन्नाटे को रौंदता हुआ यह मौसम अपने साथ कुछ और भी लेकर आया था; लेकिन क्या जिसकी आवाज़ को वह किसी और तक पहुँचने ही नहीं दे