तमाचा - 37 (शरद )

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"आओ आओ विक्रम जी। आज हमारी कैसे याद आ गयी।" विक्रम के पड़ोसी शर्मा जी ने उनका स्वागत करते हुए कहा। "अब क्या बताये आपको शर्मा जी?" कहकर विक्रम की आँखों में आँसू निकल आए। उसके जीने का एकमात्र सहारा बिंदु ही थी। पर अब उसका व्यवहार भी इस तरह का हो जायेगा ऐसा उसने कभी सोचा ही नहीं था।"अरे ! ये क्या बात हुई। संभालो अपने आप को। ऐसे क्या रोते हो? बताओ तो सही क्या बात है?....अरे ...सुनती हो इधर आना तो...ज़रा एक गिलास पानी भरना।" शर्मा जी ने विक्रम के दोनों कंधे पकड़कर उसे संभालते हुए तथा