खुली हवा में

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तारीख और साल उषा को याद है.....10 दिसंबर, 1975..... आपरेशन की पूर्व-संध्या डॉः सत्या दुबे ने उसे अस्पताल के कमरे में बुला लिया था। उसे एनीमा, एन्टीबायोटिक और मैगनीशियम साइट्रेट दिलाने हेतु। उसी रात उसे वह सपना दिखाई दिया था.... पूरी नींद में? आधी नींद में? या फिर जागते में ही? ……………… वह सुरेश के बँगले पर है..... अन्दर के बरामदे के फ़र्श पर बिछी बर्फ़ के बीच... और घर-भर में सुरेश समेत पुलिस वर्दियों की आवाज़ाही चालू है...... ’मार्क्स का वह बंदा आ पहुँचा है,’ उषा के बाबूजी को सुरेश इसी तरह लक्षित करता है, ’उषा के चेहरे से