[ संसार से विदाई ] रामानुजन की लगातार बीमारी के कारण घर के सभी सदस्य बहुत चिंतित थे। जैसा कि ऐसे समय पर बहुधा होता है, दुःखी मन ओषधि के साथ-साथ ज्योतिष से भी समाधान ढूँढ़ता है। मार्च 1920 में उनकी माँ श्री नारायण स्वामी अय्यर, जो गणितज्ञ शेषु अय्यर के पूर्व विद्यार्थी के अतिरिक्त एक प्रसिद्ध ज्योतिषी भी थे, से मिलीं।नारायण स्वामी अय्यर ने जन्म कुंडली माँगी तो माँ, जो स्वयं ज्योतिष में पारंगत थीं, ने स्मृति से ही पूरी ग्रह-स्थिति उन्हें बता दी। कुछ समय तक उसका अध्ययन करने के बाद नारायण स्वामी ने कुछ इस प्रकार बताया