माँ (जिसके बिना हमारा अस्तित्व नहीं)

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माँ : जिसके बिना हमारा अस्तित्व नहींमाँ एक मिश्री घुला शब्द है जिसकी व्याख्या नहीं हो सकती । वह एक ऐसी शख्सियत है जो हर कीमत पर संतान का साथ देती है। स्नेह और देखभाल का इससे बड़ा दूसरा उदाहरण देखने में नहीं आता । आज के दौर में एकल परिवार की परंपरा ने मां का सम्मान कम किया है पर इससे उसके अस्तित्व पर आंच नहीं आती । वह वैसी ही है जैसी सदियों पहले थी संतान के लिए स्नेह से भरपूर । आज हम उस दिन की बात करेंगे जिसके बिना हमारा अस्तित्व ही नहीं होता । कहा