बेटी की व्यथा...

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आप सब मुझको पहचानते तो होगें ही,लेकिन बिना नाम के कैसें पहचानेगे भला! तो मैं आप सबको बता दूँ,मैं वही हूँ यशोदा की बेटी हूँ,जिसे ना तो मेरे पिता नंद ने बचाया और ना ही पिता वासुदेव ने,दोनों ही मेरे पिता थे लेकिन दोनों ने ही मुझे मिलकर मारा,बेटी थी शायद इसलिए मेरी जरूरत किसी को ना थी,कितने आश्चर्य की बात है ना कि जब मेरा जन्म हुआ तो यशोदा माता निश्चिन्त होकर सोतीं रहीं,उन्हें खबर ही ना थी कि उन्होंने बेटे को जन्म दिया है या बेटी को,संसार ऐसा ही है,बेटे की रक्षा के लिए अक्सर बेटियों को मार