समय के पन्नों पर

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राममूर्ति जी आज कार्यालय आये तो, आते ही उन्हे उनके स्थानान्तण की सूचना मिली। आज से कार्यालय में उन्हें दूसरी नयी जगह.....नयी मेज पर बैठना पडे़गा। अपनी पुरानी मेज को देख कर वे सोचने लगे ’’ ......देखते.....देखते जीवन कहाँ से कहाँ पहुँच गया। कार्यालय के इस बड़े हालॅनुमा कक्ष की दीवारें, पुरानी मेज-कुर्सी, समीप रखी लोहे की जंग लगी वही आलमारी जिसमें वह कार्यालय के कागजात इत्यादि रखते हैं सब कुछ ज्यों का त्यों है। इस अंतराल पर आलमारी में लगे जंग का घेरा कुछ अधिक बढ़ गया है। अन्य कोई विशेष परिवर्तन नही हुआ है। हाँ, परिवर्तन के नाम