मीराबाई की जीवनी... पायो जी मैंने नाम रतन धन पायो। बस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो। जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो। खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन-दिन बढ़त सवायो। सत की नाव खेवहिया सतगुरु, भवसागर तर आयो। मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरख-हरख जस पायो।। इन पंक्तियों को पढ़कर आपके जेहन में आ गया होगा की में किस के बारे में बात कर रहा हूँ, जी हाँ वह है भक्तिकाल की महान विदुषी ‘मीराँबाई’ जीवन परिचय जन्म-1498