जीवन सूत्र 306 आत्म साक्षात्कार हो जीवन का लक्ष्य गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा है:-यत्सांख्यै: प्राप्यते स्थानं तद्योगैरपि गम्यते ।एकं सांख्यं च योगं च य: पश्यति स पश्यति।।5/5।।इसका अर्थ है,ज्ञानयोगियों द्वारा जो परमधाम प्राप्त किया जाता है,कर्मयोगियों द्वारा भी वहीं प्राप्त किया जाता है। इसलिए जो पुरुष ज्ञान योग और कर्मयोग को फलस्वरूप में एक देखता है, वही यथार्थ देखता है। इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने पुनः स्पष्ट किया है कि ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग दोनों का अंतिम लक्ष्य उस ईश्वर को प्राप्त करना है,जो सृष्टि के प्रारंभ से लेकर सभी मनुष्यों के