आशीर्वादरात देर से सोने के कारण सुबह आज आँख जरा सी देर से खुली, और खुली भी क्या बल्कि मोबाइल की घण्टी ने आँखे ज़बरदस्ती खोल दी। मन में खीज हो रही थी कि इतनी सुबह-सुबह कौन है जिसको खुद भी चैन नहीं है। आँखे मसलते हुए मैने मोबाइल उठाया और हैलो बोला, उधर से एक अनजानी सी आवाज आई और कहा आप संदेशजी बोल रहे हैं, मैंने हाँ में उत्तर दिया और पूछ लिया कि आप कौन बाल रही है ? उधर से एक लम्बी सांस लेने के साथ ही आवाज़ आई आप खुद ही पहचानिए। काफी सोचने के