मोहब्बत का रंग काला

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  गाँव के बच्चे नारायणी को काकी कहते हैं। पहले नारायणी कभी निराश नहीं दिखती थी। जब से उसका पति भूरा बढ़ई बीमार पड़ा है, तभी से वह खोई-खोई रहती है। पति की सेवा-सुश्रुषा में कमी न रखती। उन्हें खाने में किस चीज की जरूरत है, वह उस चीज को कैसे भी लाकर हाजिर कर देती है । यह सोचती रहती है- एक-एक करके चार बच्चे पैदा हुए, लेकिन चारों चल बसे। पेड़ बच पाएंगो तो फल और लग जाएंगे। जब से जयपुर के बड़े डॉक्टर ने जवाब दे दिया है तभी से वह निराश रहने लगी है । अब