52 बसंतकौर को ऊपर चौबारे में भेज कर जयकौर ने ढक कर ऱखी थाली सीधी की और रोटी खाने बैठी पर आज रोटी उससे खाई न गई । शायद जब हम बहुत उदास होते हैं या बेइंतहा खुश होते हैं तब हमारी भूख ऐसे ही मर जाती है । जैसे तैसे उसने एक रोटी निगल ली और लोटा भर पानी पी कर उसने बची हुई दोनों रोटियां खल वाले बर्तन में डाल दी । कटोरे की दाल को एक ही सांस में हलक में डाल कर उसने नलके पर जाकर हाथ धोए । केसर उसके रोटी खा चुकने