एक लड़की अनजानी सी

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एक लड़की अनजानी सीपरसो रात्रि करीबन साढ़े ग्यारह बजे मे आॅफिस से घर को बाइक से निकला ही था की कुछ ही दूरी पर एक लडकी नजर आई सलवार सूट पहने मदद का हाथ लिए इशारे से... मैने बाइक रोकी तो पास से टैक्सी निकल गयी... मैने कहा-जी कहिए... वो गुस्से से बोली मैने टैक्सी को हाथ दिया था, इतनी देर मे बडी मुश्किल से आया था ओर आपकी वजह से वो भी निकल गया...मुझे भी बुरा लगा, सोचा - इतनी रात को अकेली लडकी मेरी गलतफहमी की वजह से परेशान हो गई... मैने तुरंत माफी मांगी ओर लिफ्ट के