चेहरे के विपरीत चेहरा

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चेहरे के विपरीत चेहरा हाँ! घर से दूर बड़े महानगर में हूँ, हाँ बड़े महानगर में! देखे भी हो कभी या सिर्फ सुना और पढा हीं है। हाँ सच कह रहा हूँ महानगर में रहने आया हूँ पढने और खूब बड़ा इंसान बनने आया हूँ। छोड़ो तुम क्या जानों महानगर क्या होता है तुम्हें तो वो गाँव की कच्ची सड़को के हिचकोले फूस की झोपड़ीयों से टपकते पानी, और खूली नाली कि बदबू और बिना बिजली के अँधेरे में ही रहना पसंद है तुम्हें तो चोरी कर दूसरों के खेत से चने और गन्ने खाने से फुर्सत मिले तब न