यादवेंद्र को सज़ा मिलने के डर से ज्यादा डर सताता है रमन की प्रतिक्रिया का। बात-बात पर उसके व्यवसाय को लेकर ताने मारने वाली रमन अब तो उसका जीना हराम कर देगी, लेकिन जब जमानत मिलने के बाद वह घर आया तो रमन ने कुछ नहीं कहा। दिन-पर-दिन बीत रहे थे और रमन इस मुद्दे को छेड़ नहीं रही थी। यादवेंद्र खुश होने की बजाए परेशान था, उसे लगता था कि न जाने कब विस्फोट हो जाए। वह चाहता था, जो भी होना है, वह जल्दी हो जाए, लेकिन रमन की तरफ से कोई पहल होती न देखकर एक दिन