वियोग का विलाप

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रोहित एक मध्यम वर्गीय, नोकदार परिवार का युवक था। पढ़ाई के उपरांत, नौकरी करने लगा। बहुत वर्षों तक छोटी-मोटी, औनी-पौनी संस्थानों में काम कर जीवन यापन कर रहा था। वो, और उसके साथ रह रहे परिवार जन खुश थे। परिस्थिति अगर, प्रतिकूल न थी, तो अनूकूल भी न थी।मगर जैसे हर रात के बाद सबेरा आता हैं, वैसे ही रोहित के साथ हुआ। बहुत संघर्ष के बाद, रोहित को, एक अच्छी नौकरी मिली। प्रतिष्ठित संस्था में उसे आकर्षक वेतन और अन्य सुविधाओं के साथ सम्मानजनक पद मिला। इस नौकरी में सिर्फ एक ही दुविधा थी, नौकरी दूसरे शहर में थी।