शब्दों की चोरनी कहानी / शरोवन *** '?'- इस पर अंजना कुछ भी नहीं बोली. वह अपनी मुस्कान बिखेरते हुए किचिन में चली गई. जाते-जाते उसने बाहर आंगन में देखा तो पतझड़ की पीली पत्तियों से उसके घर का सारा आंगन भर चुका था. लेकिन आज उसे ये पत्तियाँ देखकर जरा भी क्रोध नहीं आ सका था. उसे तो लग रहा था कि, पतझड़ की ये बे-दम पत्तियाँ न होकर जैसे पीले सोने के वे फूल थे कि जिनसे उसका सारा घर अमीर हो चुका था. *** बसंत ऋतु का सारा ज़माना अपने पूर्ण यौवन पर जैसे खिल-खिलाता हुआ सारे