तुम दूर चले जाना - 12

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इलाहाबाद में जब किरण का मन अधिक नहीं लग सका तो वह वापस मथुरा आ गयी। आकर उसने अपनी छुट्टियाँ रद्द करवायी और फिर से काँलेज जाने लगी। अपनी दिनचर्या को उसे किसी-न-किसी रूप में सँवारना तो था ही। जो कुछ उसके साथ हो गया था, उसे दिल में ही छुपाते हुए अपने जीवन के शेष दिन व्यतीत करने थे। यूं भी किरण प्यार के नाम पर इस कदर टूट चुकी थी कि वह अब इस बारे में कुछ सोच भी नहीं पाती थी। काँलेज में उसकी साथी-सहेलियाँ अपने-अपने प्यार और प्रेमियों का जब कभी भी चर्चा चला देती थीं