50 सुभाष को पानी के नक्के मोङते , खेत में पानी देते सुबह से शाम हो गई थी । परछाइयां ढलने लगी थी । पंछी अपने घोंसलों को लौटने लगे थे । सूरज धीरे धीरे पश्चिम की ओर मुङ गया था । खेतों में काम करते कामगरों ने भी अपने घरों का रुख कर लिया था । कंधे पर कुदालें फावङे उठाए एक हाथ में ताजा तोङी सब्जी लिए आपस में दुख सुख करते हुए वे अपने अपने घरों की ओर चल दिए थे । निक्के ने सडक से सबको पुकारा – आज के लिए काम बहुत हो गया