रामायण - अध्याय 7 - उत्तरकाण्ड - भाग 2

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(2) राम राज्याभिषेक, वेदस्तुति, शिवस्तुतिचौपाई : * अवधपुरी अति रुचिर बनाई। देवन्ह सुमन बृष्टि झरि लाई॥राम कहा सेवकन्ह बुलाई। प्रथम सखन्ह अन्हवावहु जाई॥1॥ भावार्थ:-अवधपुरी बहुत ही सुंदर सजाई गई। देवताओं ने पुष्पों की वर्षा की झड़ी लगा दी। श्री रामचंद्रजी ने सेवकों को बुलाकर कहा कि तुम लोग जाकर पहले मेरे सखाओं को स्नान कराओ॥1॥ * सुनत बचन जहँ तहँ जन धाए। सुग्रीवादि तुरत अन्हवाए॥पुनि करुनानिधि भरतु हँकारे। निज कर राम जटा निरुआरे॥2॥ भावार्थ:-भगवान्‌ के वचन सुनते ही सेवक जहाँ-तहाँ दौड़े और तुरंत ही उन्होंने सुग्रीवादि को स्नान कराया। फिर करुणानिधान श्री रामजी ने भरतजी को बुलाया और उनकी जटाओं