भूतनी नही भगवान थी वो

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रमेसर काका जब यह भूतही कहानी सुनाना शुरू किए तो हम मित्रों को पहले तो थोड़ा डर लगा पर बाद में भूतों से हमदर्दी होने लगी।हमने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक भूतनी भगवान बनकर सामने आ जाएगी और अपनी जान पर खेलकर किसी की जान बचा जाएगी। जी हाँ। यह कहानी एक ऐसी ही भूतनी की है, जो मकरेड़ा से टिकरहिया जाने वाली छोटी लाइन पर घूमते रहती थी और लोगों के साथ ही जानवरों आदि की जान भी बचाया करती थी।बात बहुत पहले की है।एक बार रमेसर काका अपने बेटे से मिलने लखनऊ गए हुए थे।