सावन का महीना...

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ओ हीरामनी जिज्जी! हाँ...मँझली भौजी, का हुआ, हीरामनी ने अपनी मँझली भौजी सियादुलारी से पूछा। हम कह रहें थे कि मण्डप सँजने वाला हैं, दीपमाला को मण्डप के तले हल्दी तेल भी तो चढ़ेगा तो जरा पहले से ही सब तैयार करके रख लो, एक बड़े से बरतन में हल्दी घोलकर रख देतीं, जिससे उस समय हैरान ना होना पड़े, हम तो ना देख पाएंगे अपनी बिन्नो दीपमाला को ऐसे, उसे देखकर हम तो अपने आँसू नहीं रोक पाते, दो दिन बाद हमारी गुड़िया ससुराल चली जाएंगी, सियादुलारी बोली.... ठीक है मँझली भौजी!तुम चिंता नाही करो, हम हैं ना, हीरामनी