रोहित और रमा का इश्क़ भी एक अजीब मुकाम पर था। हर महिने कीसी ना कीसी बहानें वो एक-दूसरे से मिल ही लेते थे। अलग-अलग शहर में रह कर इश्क़ का ये ख़ाम्याजा तो ज़रूर था। मुद्दतों बाद लम्हों के लिए मिलते थे। मगर इश्क़ का खुमार इस कदर था कि मिलते तो ज़रूर थे।अब के दिसंबर में २० तारीख को मिलने का प्लान बना। तय यह हुआ कि रमा अपने घर में, माता-पिता और बेटी को, ये बोल देगी कि यूनिवर्सिटी ने एक कान्फरेन्स में भाग लेने के लिए उसे चुना है। कान्फरेन्स देल्ही में है। भोपाल शताब्दी की