कशिश - पार्ट 1

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हर कोई उसके बारे में जानना चाहता था जो खुद से ही अंजान थी ...उसका नाम तो उसी की तरह अनसुलझी सी एक पहेली बन चुका था , कोई उसे पगली तो कोई उसे निकम्मी आदि नामों से संबोधित करता था। वह इन सब का बुरा ना मान कर हंसती मुस्कुराती सदा अपने अंदाज में खुश रहती थी।एक दिन रविवार का सुबह का समय था सब अपने कामों में व्यस्त थे गांव का नाई जो कि एक हट्टा कट्टा मोटा सा पहलवान की तरह दिखने वाला व्यक्ति था जिसे सब बलवंत नाई के नाम से संबोधित करते थे, वह मुखिया