रामायण - अध्याय 6 - लंकाकाण्ड - भाग 5

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(5) माल्यवान का रावण को समझानादोहा : * कछु मारे कछु घायल कछु गढ़ चढ़े पराइ।गर्जहिं भालु बलीमुख रिपु दल बल बिचलाइ॥47॥ भावार्थ:- कुछ मारे गए, कुछ घायल हुए, कुछ भागकर गढ़ पर चढ़ गए। अपने बल से शत्रुदल को विचलित करके रीछ और वानर (वीर) गरज रहे हैं॥47॥ चौपाई : * निसा जानि कपि चारिउ अनी। आए जहाँ कोसला धनी॥राम कृपा करि चितवा सबही। भए बिगतश्रम बानर तबही॥1॥ भावार्थ:- रात हुई जानकर वानरों की चारों सेनाएँ (टुकड़ियाँ) वहाँ आईं, जहाँ कोसलपति श्री रामजी थे। श्री रामजी ने ज्यों ही सबको कृपा करके देखा त्यों ही ये वानर श्रमरहित हो