मधुरिका

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मधुरिका जी आज ज़ोर-ज़ोर से बोले जा रही थी और निलय उन्हें चुप करवाने की कोशिश कर हरे थे वो लगातर कहे जा रही थी मेरी किसी को परवाह नही है, कोई भी मेरे साथ नही है और तुम --- तुम तो पूरी ज़िन्दगी मेरे पास केवल अपने मतलब से ही आते रहे हो अब तुम्हे मुझसे क्या ? ना जाने वो बिना सोचे समझे क्या-क्या बोले जा रही थी। उनको खुद भी मालुम न था। बस वो बोले जा रही थी। निलय उनके व्यवहार से परेशान तो था लेकिन वो जानता था कि यह व्यवहार थोड़े समय तक रहेगा।