रामायण - अध्याय 5 - सुंदरकाण्ड - भाग 5

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(5) श्री रामजी का वानरों की सेना के साथ चलकर समुद्र तट पर पहुँचनादोहा : * कपिपति बेगि बोलाए आए जूथप जूथ।नाना बरन अतुल बल बानर भालु बरूथ॥34॥ भावार्थ:-वानरराज सुग्रीव ने शीघ्र ही वानरों को बुलाया, सेनापतियों के समूह आ गए। वानर-भालुओं के झुंड अनेक रंगों के हैं और उनमें अतुलनीय बल है॥34॥ चौपाई : * प्रभु पद पंकज नावहिं सीसा। गर्जहिं भालु महाबल कीसा॥देखी राम सकल कपि सेना। चितइ कृपा करि राजिव नैना॥1॥ भावार्थ:-वे प्रभु के चरण कमलों में सिर नवाते हैं। महान्‌ बलवान्‌ रीछ और वानर गरज रहे हैं। श्री रामजी ने वानरों की सारी सेना देखी। तब