रामायण - अध्याय 2 - अयोध्याकांड - भाग 12

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(12) मुनि वशिष्ठ का भरतजी को बुलाने के लिए दूत भेजनादोहा : * तब बसिष्ठ मुनि समय सम कहि अनेक इतिहास।सोक नेवारेउ सबहि कर निज बिग्यान प्रकास॥156॥ भावार्थ:-तब वशिष्ठ मुनि ने समय के अनुकूल अनेक इतिहास कहकर अपने विज्ञान के प्रकाश से सबका शोक दूर किया॥156॥ चौपाई : * तेल नावँ भरि नृप तनु राखा। दूत बोलाइ बहुरि अस भाषा॥धावहु बेगि भरत पहिं जाहू। नृप सुधि कतहुँ कहहु जनि काहू॥1॥ भावार्थ:-वशिष्ठजी ने नाव में तेल भरवाकर राजा के शरीर को उसमें रखवा दिया। फिर दूतों को बुलवाकर उनसे ऐसा कहा- तुम लोग जल्दी दौड़कर भरत के पास जाओ। राजा की