रामायण - अध्याय 1 - बालकाण्ड - भाग 25

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(25) नवाह्नपारायण, तीसरा विश्राम चौपाई : * भूप बिलोकि लिए उर लाई। बैठे हरषि रजायसु पाई॥देखि रामु सब सभा जुड़ानी। लोचन लाभ अवधि अनुमानी॥1॥ भावार्थ:-राजा ने देखते ही उन्हें हृदय से लगा लिया। तदनन्तर वे आज्ञा पाकर हर्षित होकर बैठ गए। श्री रामचन्द्रजी के दर्शन कर और नेत्रों के लाभ की बस यही सीमा है, ऐसा अनुमान कर सारी सभा शीतल हो गई। (अर्थात सबके तीनों प्रकार के ताप सदा के लिए मिट गए)॥1॥ * पुनि बसिष्टु मुनि कौसिकु आए। सुभग आसनन्हि मुनि बैठाए॥सुतन्ह समेत पूजि पद लागे। निरखि रामु दोउ गुर अनुरागे॥2॥ भावार्थ:-फिर मुनि वशिष्ठजी और विश्वामित्रजी आए। राजा