रामायण - अध्याय 1 - बालकाण्ड - भाग 20

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(20) धनुषभंगदोहा : * राम बिलोके लोग सब चित्र लिखे से देखि।चितई सीय कृपायतन जानी बिकल बिसेषि॥260॥ भावार्थ:-श्री रामजी ने सब लोगों की ओर देखा और उन्हें चित्र में लिखे हुए से देखकर फिर कृपाधाम श्री रामजी ने सीताजी की ओर देखा और उन्हें विशेष व्याकुल जाना॥260॥ चौपाई : * देखी बिपुल बिकल बैदेही। निमिष बिहात कलप सम तेही।तृषित बारि बिनु जो तनु त्यागा। मुएँ करइ का सुधा तड़ागा॥1॥ भावार्थ:-उन्होंने जानकीजी को बहुत ही विकल देखा। उनका एक-एक क्षण कल्प के समान बीत रहा था। यदि प्यासा आदमी पानी के बिना शरीर छोड़ दे, तो उसके मर जाने पर अमृत