माँ का न्याय

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जेलर मुकुन्द राठौर की ईमानदार मेहनत और समय के बदलते करवट ने नियत को मजबूर कर दिया कि वह अपने न्याय की समीक्षा करें ।राज्यपाल महोदय ने शेखर मिलन रागिल के विषय मे जानकारी मंगाई तीनों के पिता समाज के सम्मानित एव पैसे वाले ऊंचे रसूख एव पहुंच के लोग थे साथ ही साथ मरहूम बैभव एव साहिल के पारिवारिक मित्र भी थे सभी ने महामहिम राज्यपाल पर अपने प्रभाव से दबाव बनाने कि भरपूर कोशिश किया।महामहिम भी असमंजस की स्थिति में थे लेकिन माँ तब मुझे तेरे द्वारा बताए गए कुल देवता पर विश्वास हो गया जब साहिल की