(23) खुशी का चेहरा खिल उठता है। प्रसन्नता और हर्ष के उन्माद से उसके मन में लड्डू फूटने लगते हैं। वह सोचती हैं- ऐसा लग रहा जैसे आज हमारा जन्मदिन है। हर कोई हमें आशीर्वाद ही दे रहा है। लगता है आज का दिन बहुत शुभ है। खुशी शिवजी के सामने जाकर हाथ जोड़े खड़ी हो जाती है। खुशी- हे भोलेनाथ! एक दिन हम बहुत दुःखी थे। अम्मा की उपेक्षा, जीजी के लिए लड़के वालों का घर आना और हमारा जीजी के साथ उस वक़्त न होना.. इन सारी बातों से हमें यही लगा था कि आप हमसे बहुत नाराज़