इस प्यार को क्या नाम दूं ? - 19

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(19) देवयानी- जी.. पुष्पा- हमारा बेटा जितेंद्र उन्हीं की कम्पनी में सुपरवाइजर है। देवयानी- जी अच्छी बात है। आकाश गरिमा से पूछती है- आँटी, ख़ुशीजी कही नजऱ नहीं आ रहीं ? गरिमा- लेट लतीफी करना उसकी आदत है। आती ही होगी। ख़ुशी के आने से पहले ही वहाँ अर्नव आ जाता है। अर्नव को देखकर उसके परिवार के सदस्यों साथ ही अन्य लोगों के चेहरे पर भी हैरानी साफ़ दिखाई देती हैं। लड़के वालों के रिश्तेदारों में कानाफूसी होने लगती है- बहुत रईस परिवार से मित्रता है इनकी तो.. अच्छा खासा दहेज़ मिलेगा। भई, जितेंद्र की तो पाँचो उंगलियां घी