इस प्यार को क्या नाम दूं ? - 17

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(17) पुराने जख्म हरे हो गए थे। अपनी गलती का पश्चाताप गरिमा की आँखों से निर्झर झरने सा अविरल बह रहा था। अतीत के किस्से जब वर्तमान से टकराते है तो इंसान खुद टूटकर बिखर जाता है। आज गरिमा का भी यही हाल था। ख़ुशी भी भावुक हो गई। गालों पर लुढ़क आए मोटे-मोटे आँसूओ को पोछते हुए वह गरिमा से प्रश्न पूछती हैं- खुशी- अम्मा, इन सब के बावजूद आपने हमारा पालनपोषण क्यों किया? हम यहाँ कैसे आए? खुद को संभालते हुए गरिमा ने कहा। गरिमा- महिमा औऱ राजपाल की शादी को मेरे घरवालों ने स्वीकार कर लिया था