इस प्यार को क्या नाम दूं ? - 14

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(14) हरिराम देवयानी और मनोरमा को भरोसा दिलाते हुए कहता है- आप चिन्ता न करें। अर्नव भैया की देखभाल मैं बहुत अच्छे से करूँगा। उनका खाना-नाश्ता, चाय पानी सब मैं ही तो देखता हूँ। अब थोड़ा और विशेष ध्यान रख लूँगा। अब तो मुझे उनके गुस्से की भी आदत हो गई है। आप बेफिक्र होकर जाइये। साधारण सा जुक़ाम है, कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं है। देवयानी और मनोरमा को हरिराम की बात पसन्द आती है। दोनों ही हरिराम की बात से सहमत हो जाती है और सुबह जाने की तैयारी में जुट जाती है। अगले दृश्य में... गुप्ता हॉउस