(9) उस तरफ़ से बिना ब्रेक की गाड़ी की तरह बिना रुके एक महिला कहने लगती है- अब चिंता की कोई बात नहीं है। सब ठीक है। यहाँ स्थिति हमने संभाल ली है। तुम अपने नई दिल्ली प्रोजेक्ट का मोर्चा संभालो। मैं दो दिनों में लौटूंगा। आप तब तक नानी का अच्छे से ख्याल रखिएगा- चिंता जताते हुए अर्नव ने कहा। अगले दृश्य में.. ख़ुशी और गरिमा अपने घर पहुंच जाती है। दरवाजे पर नाराज़ मधुमती खड़ी हुई मिलती है। गुस्से से दोनों को घूरते हुए वह कहती है- ई देखो, आज ही अस्पताल से आई है दुई और आज