(7) घड़ी एक बजा रहीं थी। टिक-टिक करते घड़ी के कांटे भी मानो आगे भागकर पायल के मन की तरह अपनी अम्मा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हो। बाहर ऑटोरिक्शा रुकने की आवाज सुनकर पायल खुशी से झूम उठी औऱ मधुमती को पुकारते हुए कहती है- बुआजी जल्दी आइए। वो लोग आ गए हैं। हाथ पोछते हुए मधुमती किचन से बाहर आती है। दरवाजे की घण्टी बजती है। पायल तेज़ कदमों से दरवाज़े की ओर बढ़ती है। वह उत्सुकता से दरवाजा खोलती है। सामने गरिमा, ख़ुशी और शशिकांत खड़े थे। पायल गरिमा को गले से लगा लेती है। गरिमा