इस प्यार को क्या नाम दूं ? - 3

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(3) अनुलता का नाम सुनकर ख़ुशी की आँखों में चमक आ जाती है। जैसे अचानक अमावस्या की रात सितारों से झिलमिला उठी हो। वह एड़ियों को उचकाकर अनुलता को देखने का प्रयास करती हैं पर भीड़ अधिक होने के कारण देख नहीं पाती हैं। उसे सड़क किनारे एक कार दिखतीं है। वह सोचती हैं कार पर चढ़ जाए तो हम बहुत आसानी से अनुलता जी को देख पाएंगे। अपने इस विचार से खुश होकर उसे मूर्त रूप देने के लिए ख़ुशी कार की तरफ़ तेज़ कदमो से बढ़ने लगती है। वह कार के पास पहुंच जाती है। वह सोचती हैं